कोई ये कैसे बताये की वो तनहा क्यों हैं
वो जो अपना था वही और किसी का क्यों हैं
यही दुनिया है तो फिर ऎसी ये दुनिया क्यों हैं
यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों हैं
एक ज़रा हाथ बढ़ा , दे तो पकडले दामन
उसके सिने में समा जाए हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत हैं तो फिर फासला इतना क्यों है
[कुर्बत=nearness]
... दिल -ए -बरबाद से निकला नहीं अब तक कोई
एक लूटे घर पे दिया करता हैं दस्तक कोई
आस जो टूट गयी फिर से बंधाता क्यों हैं
तुम मसर्रत का कहो या इसे गम का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता हैं जनम का रिश्ता
हैं जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों हैं
[मसर्रत=happiness]
वो जो अपना था वही और किसी का क्यों हैं
यही दुनिया है तो फिर ऎसी ये दुनिया क्यों हैं
यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों हैं
एक ज़रा हाथ बढ़ा , दे तो पकडले दामन
उसके सिने में समा जाए हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत हैं तो फिर फासला इतना क्यों है
[कुर्बत=nearness]
... दिल -ए -बरबाद से निकला नहीं अब तक कोई
एक लूटे घर पे दिया करता हैं दस्तक कोई
आस जो टूट गयी फिर से बंधाता क्यों हैं
तुम मसर्रत का कहो या इसे गम का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता हैं जनम का रिश्ता
हैं जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों हैं
[मसर्रत=happiness]
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