Tuesday, July 3, 2012

AB TUM AAGOSH A TASSVUR

अब तुम आगोश -ए -तसव्वुर में भी आया न करो
मुझ से बिखरे हुए गेसू नहीं देखे जाते
सुर्ख आँखों की क़सम कांपती पलकों की क़सम
थर -थराते हुए आंसू नहीं देखे जाते

[आगोश -ए -तसव्वुर =in the grasp/reach of dreams/imagination]

अब तुम आगोश -ए -तसव्वुर में भी आया न करो
छूट जाने दो जो दामन -ए -वफ़ा छूट गया
क्यूँ ये लगजीदा ख़रामी ये पशेमान नज़री
तुम ने तोड़ा नहीं रिश्ता -ए -दिल टूट गया

[लगजीदा ख़रामी =hesitant walk; पशेमान नज़री=penitent gaze]

अब तुम आगोश -ए -तसव्वुर में भी आया न करो
मेरी आहों से ये रुखसार न कुमला जाएँ
ढूँदती होगी तुम्हें रस में नहाई हुई रात
जाओ कलियाँ न कहीं सेज की मुरझा जाएँ

[रुखसार=cheek]

अब तुम आगोश -ए -तसव्वुर में भी आया न करो
मैं इस उजड़े हुए पहलू में बिठा लूँ ना कहीं
लब- ए - शीरीं का नमक आरिज़ -ए -नमकीन की मिठास
अपने तरसे हुए होंठों में चुरा लूँ न कहीं

[लब- ए - शीरीं =sweet lips;आरिज़ -ए -नमकीन =salty cheeks] 

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