बस इक झिझक है यही हाल -ए -दिल सुनाने में
की तेरा ज़िक्र भी आयेगा इस फ़साने में
[झिझक=hesitation;ज़िक्र=mention ; फ़साने =tale]
बरस पड़ी थी जो रुख से नकाब उठाने में
वो चांदनी है अभी तक मेरे गरीब -खाने में
इसी में इश्क की किस्मत बदल भी सकती थी
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में
...
ये कह के टूट पडा शाख -ए -गुल से आखिरी फूल
अब और देर है कितनी बहार आने में
की तेरा ज़िक्र भी आयेगा इस फ़साने में
[झिझक=hesitation;ज़िक्र=mention
बरस पड़ी थी जो रुख से नकाब उठाने में
वो चांदनी है अभी तक मेरे गरीब -खाने में
इसी में इश्क की किस्मत बदल भी सकती थी
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में
...
ये कह के टूट पडा शाख -ए -गुल से आखिरी फूल
अब और देर है कितनी बहार आने में
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