Tuesday, July 10, 2012

Piya Basanti Re

पिया बसंती रे
काहे सताए आजा
जाने क्या जादू किया
प्यार की धुन छेड़े जिया
काहे सताए आजा

बादल ने अंगड़ाई ली जो कभी, लहराया धरती का आँचल
ये पत्ता-पत्ता, ये बूटा-बूटा, छेड़े है कैसी ये हलचल
मनवा ये डोले, जाने क्या बोले
मानेगा ना मेरा जिया
...
तेरे है हम तेरे पिया
काहे सताए आजा

पलकों के सिरहाने बैठे, ख्वाब वही जो आने वाले
दिल की गिरहा-गिरहा खोले, मन में प्यार जगाने वाले
सतरंगी सपने बोले रे
काहे सताए आजा


 ---अखिलेश शर्मा

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